Jaina nīti śāstra: eka pariśīlana

Capa
Śrī Tāraka Guru Jaina Granthālaya, 1988 - 548 páginas

De dentro do livro

Conteúdo

Seção 1
1
Seção 2
15
Seção 3
46

20 outras seções não mostradas

Termos e frases comuns

अतः अथवा अधिक अन्य अपनी अपने अर्थ अहिंसा आचरण आत्मा आदि आधार आवश्यक इन इस इस प्रकार इसका इसके इसी उचित उस उसका उसके उसे एक एवं ऐसा कर करके करता है करना करने कर्तव्य कहा गया है का अभिप्राय कारण कार्य किन्तु किया किसी की कुछ के अनुसार के लिए को कोई गई चाहिए जा जाती जैन जो ज्ञान तक तथा तो था दिया दृष्टि से दोनों द्वारा धर्म नहीं नहीं है निर्णय नीति का नीतिशास्त्र का ने नैतिक नैतिकता पर पालन प्रकार प्रकार के प्रति प्रत्यय प्रमुख प्राप्त बहुत भगवान भगवान महावीर भारत मन मानव में भी यदि यह या वह वाला वाले विचार विषय वे व्यक्ति व्यक्ति को व्यवहार शब्द शुभ श्रमण सकता है सत्य सभी समाज सामाजिक सिद्धान्त सुख सूत्र स्थिति स्वयं ही हुआ हुए है और है कि हैं हो जाता है होता है होती होते हैं होने

Informações bibliográficas